हज़ार वलवले उट्ठेंगे हम जहाँ होंगे
हज़ार वलवले उट्ठेंगे हम जहाँ होंगे सफ़र में ऐसे कई बार इम्तिहां होंगे मेरी ज़बान पे ख़ंजर अछालने वाले मेरे सफ़र से जो गुज़रे तो हमज़बां होंगे ये जानते तो उजाला न माँगते हरगिज़ जलेंगे दीप जहाँ मोम के मकां होंगे मेरी निगाह से देखो तो देख पाओगे गगन के पार कई … Continue reading हज़ार वलवले उट्ठेंगे हम जहाँ होंगे
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